भारत एक लोकतांत्रिक देश के साथ साथ विकसित देशों की सूची में भी आता हैं, जिसके फलस्वरूप यहाँ नई नई योजनाएं संचालित की जाती हैं। जिससे देश की प्रगति हो व सभी नागरिकों को आधारभूत सेवाओ का लाभ मिले। जी हाँ, जब चर्चा विकास की होती हैं तो उसके चलते सभी विषयों पर प्रकाश डाला जाता हैं। आज की इस पोस्ट में हम ऐसे ही यातायात के सुगम विषयो पर चर्चा करेंगे जिसके अंतर्गत सड़क व विशाल पुलों के निर्माण कार्य सम्पन्न होते हैं। जी हाँ, क्या आपको पता हैं, कि भारत का सबसे बड़ा पुल कहाँ हैं, व पुल न निर्माण कब और किसके नेतृत्व में हुआ। तो शरू करते हैं, आज की इस पोस्ट को जिसमे भारत के सबसे बड़े पुल के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
यातायात परिवहन को बेहतर बनाने व सभी यात्रियों को सुख सुविधा देने के लिए सड़कों व राष्ट्रीय राजमार्गों का अहम योगदान रहता हैं। जिसके चलते प्रत्येक वर्ष सरकार इन पर अरबो रुपया की लागत लगाती हैं। वर्तमान समय मे बड़े बड़े फ्लाईओवर व पुलों के कार्य को किया जा रहा हैं, जिसके चलते ट्रैफिक को नियंत्रित किया जा सके व साथ ही साथ सड़को का विकास हो। पोस्ट में आगे बढ़ने से पहले चर्चा करते हैं। भारत के सबसे विशाल पुल की।
भारत का सबसे बड़ा पुल कौन सा हैं, व कहाँ स्तिथ हैं?
एक पुल एक संरचना को संदर्भित करता है जो एक भौतिक बाधा को पार करने के लिए बनाया गया है जैसे कि झील, नदी या घाटी, खाई, खाड़ी, आदि जैसे जल निकाय। यह लोगों, वाहनों आदि के लिए बाधा पर मार्ग प्रदान करता है। यह लगभग नहीं है पुल बनाए बिना या किसी दूसरे सबसे लंबे मार्ग का अनुसरण किए बिना ऐसी बाधाओं को पार करना संभव है। पुल के कार्य और इलाके की प्रकृति और आवश्यक ताकत के आधार पर एक पुल विभिन्न प्रकार का हो सकता है। भारत में पानी और रेलवे पुलों के ऊपर कई बड़े पुल हैं।
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यह पुल भारत के सुदूर पूर्व में तिनसुकिया जिले में स्थित है और ढोला और सादिया गांवों को जोड़ता है, जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी आसान हो जाती है। यह चीन से निकटता के कारण सामरिक महत्व का है, जिससे त्वरित और आसान आवाजाही की अनुमति मिलती है जो पुल के निर्माण से पहले संभव नहीं था।
इसके अलावा अगर भारत के सबसे बड़े पुल के बारे मे बात करे तो उसके लिए सबसे ऊपर स्थान ब्रह्मपुत्र की प्रमुख नदी लोहित पर बना हुआ हैं। यह पुल ढोला सदिया पुल के नाम से जाना जाता हैं।
पोस्ट मे आगे बढ़ने से पहले चर्चा करते हैं, भारत के कुछ महत्वपूर्ण पुलों की जिनको सर्वाधिक बड़े पुलों की गिनती मे अंकित किया जाता हैं।
- डॉक्टर भूपेन हज़ारिक ब्रिज
- महात्मा गांधी सेतु
- बांद्रा वॉरली सी लिंक
- बोगिबईल ब्रिज
- विक्रमशीला सेतु
- गोदावरी ब्रिज
- मुंगेर गंगा ब्रिज
गांधी सेतु, या गंगा सेतु, एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। पहले की तरह, यह भी तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा खोला गया था। यह हमें इन पुलों के निर्माण के महत्व की याद दिलाता है। वैकल्पिक नाम से, आपको एक उचित विचार मिल गया होगा कि यह गंगा नदी पर बना है। भारत में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की तरह, इसमें भी पूरा होने से पहले जबरदस्त देरी और नौकरशाही बाधाएं देखी गईं।
इस पर काम 1972 में शुरू हुआ था जब शुरुआती लागत रुपये आंकी गई थी। 23.50 करोड़ और 1978 तक पूरा होने के लिए निर्धारित। जब अंततः 1982 में प्रकाश का दिन देखा गया तो राजकोष की लागत रु। 87 करोड़ जो शुरुआती अनुमान के 4 गुना के करीब है। भारत के राजीय राजमार्गों के उन्नति मे जितना महत्व ब्रिज का है, उसको देखते हुए प्रधान मंत्री योजनाओ के अंतर्गत बहुत से बड़े पुलों का सिलनीयस कर दिया गया है।
जिसके अंतर्गत ऊपर दिए गए सभी पुल आते है। इसके अलावा अगर दूसरे पुल की बात करे तो बिहार का एक और नाम पाल साम्राज्य के प्राचीन शिक्षा केंद्र के नाम पर रखा गया है। नालंदा, अधिक प्रसिद्ध प्राचीन शैक्षणिक संस्थान विक्रमशिला का समकालीन है। आधुनिक समय के संदर्भ में, यह पुल NH80 और NH31 को जोड़ता है। यह बिहार के कई जिलों जैसे नौगछिया, पूर्णिया और कठियार को कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
आशा करते है, आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको भारत के सबसे बड़े पुल के विषय मे विस्तार से जानकारी मिली होगी। हमारे रोज के दैनिक जीवन मे ऐसे बहुत से पुल दिखाई पड़ते है, जिनकी गणना हम साधारण पुलों मे करते है, परंतु कुछ बड़े निर्माण कार्य राजीय राजमार्गों के अंतर्गत आते है। अधिक जानकारी के लिए पोस्ट मे दिए गए लिंक पर जाकर अन्य महत्वपूर्ण जानकारी ले सकते है।
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