Narco टेस्ट के बारे मे अपने ज्यादातर फिल्मों या किसी tv सीरियल में जरूर सुना होगा। यह टेस्ट उस परिस्थिति में किया जाता हैं, जब किसी से सच जानना हो और वो व्यक्ति गुमराह करने की सोच रहा हो। हालांकि, अभी तक पूर्णरूप से ऐसी कोई तकनीकी सामने नही हैं जो मनुष्य के मन और मस्तिष्क की गणना कर सके। परंतु फिर भी नारको टेस्ट अभी तक सफल माना जा रहा हैं। आज की आस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि वास्तव मे नार्को टेस्ट होता क्या हैं, वे इसे किस परिस्थिति में इस्तमाल किया जाता हैं। वर्तमान समय मे बढ़ते क्राइम रेट को देखते हुए पुलिस प्रशासन की तरफ से कोई चूक न हो इसीलिए ऐसे परिशिक्षण का होना बहुत अहम हो गया हैं। तो चलिए बिना देरी किये शरू करते हैं आज की इस पोस्ट को जिसमे नार्को टेस्ट से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको दी जाएगी।

Narco Test क्या होता हैं?
नार्को टेस्ट एक मात्र ऐसा टेस्ट हैं जिसे इन्वेस्टीगेशन के उद्देश्य से प्रयोग किया जाता हैं। वर्तमान समय मे बढ़ रहे क्राइम रेट को देखते हुए सरकार ने इस टेस्ट की मंजूरी जारी कर दी हैं। जिसके चलते इसे फॉरेंसिक लैब व बड़ी बड़ी इन्वेस्टीगेशन एजेंसियों के द्वारा इस्तमाल किया जा रहा हैं। अपराधियो के हौसले को कम करने के लिए व सब कुछ सच जानने के लिए इस टेस्ट का प्रयोग होता हैं जिसके चलते इसके पूर्व अपराधी को कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं। हालांकि, अब तक के अन्य टेस्ट के तुलना में नार्को टेस्ट काफी मददगार साबित हुआ हैं।
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एक खोजी उपकरण के रूप में आर्कोएनालिसिस दशकों से एक विवादास्पद विषय रहा है। परीक्षण विशिष्ट खुराक की संवेदनाहारी दवाओं को इंजेक्ट करके अपने विषय को ‘कृत्रिम निद्रावस्था’ की स्थिति में रखता है। यह माना जाता है कि इस अवस्था में, व्यक्ति की कल्पना निष्प्रभावी हो जाती है और फिर वह ऐसी जानकारी प्रकट करेगी जिसे वह अपने ज्ञान के लिए सत्य मानती है। इसे उन परिस्थितियों में जानकारी प्राप्त करने के साधन के रूप में देखा जाता है जिसके लिए व्यक्ति से तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।
परीक्षण आमतौर पर एक टीम द्वारा आयोजित किया जाता है जिसमें “एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, एक मनोचिकित्सक, एक नैदानिक / फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक, एक ऑडियो / वीडियोग्राफर और सहायक नर्सिंग स्टाफ” (स्रोत) शामिल होता है। वे पूरे सत्र में रक्तचाप और नाड़ी की दर सहित रोगी के महत्वपूर्ण अंगों की निगरानी करते हैं और पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड के लिए प्रलेखित किया जाता है। और परीक्षण शुरू करने से पहले, यह अनिवार्य है कि जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है, उसने इसके लिए सहमति दी है और पूरी प्रक्रिया को जानता और समझता है।
जो लोग इन परीक्षणों का संचालन करते हैं, उन्हें थियोपेंटल सोडियम (पीडीएफ डाउनलोड) को मादक एजेंट के रूप में पसंद करने के लिए जाना जाता है क्योंकि इसे अक्सर सामान्य संवेदनाहारी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यह एक तेजी से काम करने वाली दवा है: एक व्यक्ति जो एक अंतःशिरा खुराक (उपयुक्त मात्रा में) प्राप्त करता है, आमतौर पर सेकंड के भीतर चेतना खो देता है।
नार्को टेस्ट के बढ़ते उपयोग को देखते हुए बहुत से अपराधी पहले ही सच बता देते है, जिससे की उन्हे अधिक कस्ट का सामना न करने पड़े। इसके अलावा कानून व्यवस्था को एकत्रित करने के लिए इस टेस्ट को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
Narco test कैसे किया जाता हैं? इसके क्या परिकिर्या हैं?
नार्को टेस्ट मुख्य तौर पर एक दवाई के रूप में किया जाता हैं। जिसके चलते अपराधी को कुछ दवाइयां दी जाती हैं। इन दवाओं के परिणाम से अपराधी बेहोसी की स्थिति में चला जाता हैं। जिससे कि वो ज्यादा न सोच सके। जैसा कि मनोविज्ञान कहता हैं, कि व्यक्ति को झूठ बोलने के लिए ज्यादा सोचना पड़ता हैं अपितु सच बोलने के लिए बहुत कम। उन्ही पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नार्को टेस्ट के माध्यम से व्यक्ति को गहरी निंद्रा में पहुचाया जाता हैं। जिससे कि वो बस पूछे गए सवालों को बिना अधिक सोचे उत्तर दे। ऐसे में सच पता करने के सबसे ज्यादा उम्मीद होती हैं। इसीलिए नार्को टेस्ट को इस्तमाल करते हैं।
यद्यपि आपराधिक न्याय प्रणाली के सदस्य, और अन्य अन्य, एक ऐसी दवा की संभावना से उत्साहित हैं जो लोगों को झूठ बोलने से रोक सकती है, साहित्य का एक अधिक महत्वपूर्ण निकाय है जो विधि की प्रभावकारिता के बारे में संदेह को प्रोत्साहित करता है।
आशा करते हैं, आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको नार्को टेस्ट के विषय मे पर्याप्त जानकारी मिली होगी। नार्को टेस्ट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं जिसके इस्तमाल से बड़े बड़े psychatrist व क्राइम एजेंसिया बडे पैमाने पर इसका इस्तेमाल करती हैं। ऐसी ही पोस्ट को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक्स पर क्लिक करके अधिक जानकारी ले जलते हैं।