Samundra Ka Pani Khara Kyon Hota Hai?

पानी धरती का वो एकमात्र श्रोत हैं, जिसके बिना जीवन यापन करना मुश्किल ही नही बल्कि असम्भव हैं। वर्तमान समय मे पानी की किल्लत को देखते हुए सरकार द्वारा व आम नागरिक द्वारा काफी कदम व जागरूकता को बढ़ावा दिया जा रहा हैं, जिसके चलते पानी की बर्बादी को रोका जा सके व साथ ही साथ भविष्य में आने वाली पीढ़ी को ज्यादा दिक्कतों का सामना न करने पड़े। पृथ्वी पर शुद्ध पानी की मात्रा कुछ ही प्रतिशत हैं, बाकी समुन्द्र व बडे महासागर का पानी खारा व नमकीन हैं।

 जिसके चलते पानी का संकट काफी हैं। आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि समुन्द्र का पानी खारा क्यों होता हैं। हालांकि, इस विषय के बारे में हम स्कूल स्तर से ही पढ़ते आये हैं। परंतु अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें इसके पीछे का पर्याप्त कारण की जानकारी नही हैं। तो चलिए शरू करते हैं, आज की इस पोस्ट को जिसमे समुन्द्र के खारे पानी से जुड़े रहस्य के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Samundra Ka Pani Khara Kyon Hota Hai?

समुन्द्र का पानी खारा क्यो होता हैं?

शरुआती कक्षाओं में हमने वाष्पीकरण क्रिया के बारे में विज्ञान में पढ़ा हैं, जिसके अंतर्गत छोटी छोटी नदिया मिलकर एक बड़े समुन्द्र का निर्माण करती हैं। यह समुन्द्र वाष्पीकरण के द्वारा बदलो में तब्दील होकर वर्षा का रूप लेते हैं। जिसके चलते हमारे वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन जैसी गैसों का मिश्रण होता हैं। भारी वर्षा के कारण आसपास के पार्टिकल धूल जाते हैं, ओर यह वर्षा एक अम्लीय वर्षा का रूप ले लेती हैं। जिसके चलता समुन्द्र में मिलने से पानी खारा व हल्का मीठा लगने लगता हैं। नदियों के द्वारा यह अम्लीय पानी एक बड़ी मात्रा में समुन्द्र में एकत्रित होता हैं। जिसके चलते यह अम्लीय पानी का निष्पादन करता हैं।

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हवा में कार्बन डाइऑक्साइड वर्षा जल में घुल जाता है, जिससे यह थोड़ा अम्लीय हो जाता है। जब बारिश होती है, तो यह चट्टानों का मौसम करती है, खनिज लवणों को छोड़ती है जो आयनों में अलग हो जाते हैं। इन आयनों को अपवाह जल के साथ ले जाया जाता है और अंततः समुद्र में पहुंच जाता है। सोडियम और क्लोराइड, खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले नमक के मुख्य घटक, समुद्री जल में पाए जाने वाले सभी आयनों का 90% से अधिक बनाते हैं। समुद्री जल का लगभग 3.5% भार घुले हुए लवणों से आता है।

कुछ खनिज आयनों का उपयोग समुद्री जानवरों और पौधों द्वारा पानी से निकालने के लिए किया जाता है। बचे हुए खनिजों ने लाखों वर्षों में एकाग्रता में निर्माण किया है। समुद्र के तल पर पानी के नीचे के ज्वालामुखी और हाइड्रोथर्मल वेंट भी समुद्र में लवण छोड़ सकते हैं। जो बाद में अम्लीय जल को बड़े विस्तार से बनाते हैं। इसके अलावा अगर शुद्ध पानी की बात की जाए जिसे ग्राउंड वाटर कहाँ जाता हैं। उसकी मात्रा दिन प्रितिदिन घटती जा रही हैं। पिछले आंकड़ो के हिसाब से पृथ्वी पर कुल 8% पीने योग्य पानी शेष हैं। जो एक अहम चिंता का विषय हैं। बड़े बड़े महानगर जैसे दिल्ली,मुम्बई व बैंगलोर में पानी की समस्या ज्यादा देखने को मिलती हैं। 

पानी का अधिकांश स्तर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से भी घट रहा हैं, जिसके चलते सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देश का पालन करना बहुत ही जरूरी हो गया हैं। वैज्ञानिकों की माने तो अगर स्तिथि इसी प्रकार बनी रही तो भविष्य में पानी ले घोर संकट देखने को मिलेगा। दिन प्रितिदिन पानी का स्तर में गिरावट देखने को मिल रही हैं, वही नए नए संसाधनों के कारण तकनीकी इतनी उच्च स्तर पर पहुच चुकी हैं, जहाँ से पानी की दशा को सुधारना मानो नामुमकिन हैं। खारे पानी को शुद्ध पानी के रूप में परिवर्तित करने में जो समय लगता हैं, उसको देखते हुए कोई अलग तकनीकी तैयार नही हुई हैं। इसीलिए सभी जीव जंतुओं का एकमात्र श्रोत ग्राउंड वाटर पर निर्भर करता हैं। 

इसके अलावा, बहुत से लोगो के मन मे यह सवाल उठता हैं। कि क्या मात्र वातावरण में मौजूद गैसों के मिश्रण से ही समुन्द्र का पानी खारा होता हैं। तो इस संशय को सरल बनाने के लिए यह जानना जरूरी हैं, कि समुन्द्र में ऐसे बहुत से जीव होते हैं जो लवणों का प्रयोग करके अपने लिए खोल बनाने का कार्य करते हैं। काफी समय तक स्थायी रूप से समुन्द्र में बने रहने से इनका शरीर नस्ट हो जाता हैं। जो बाद में चुने जैसे पदार्थों में बदल जाता हैं। 

समुंद्री लावा फटने या अन्य किसी हलचल से यह चुने के बड़े बड़े टुकड़े निचली सतह में जाकर ठेर जाते हैं। जिनके कारण से समुन्द्र का पानी खारा हो जाता हैं। आशा करते हैं, आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको समुन्द्र का पानी खारा क्यो होता हैं, इसके विषय मे पर्याप्त जानकारी मिली होगी।